The first Hindi review of Ballad of Bapu by Mr. Subhash Nahar
Ballad of Bapu , even after four years of publication , keeps going from strength to strength .
It delights me no end when strangers accost me in different places , wanting to shake hands with me and click selfies. Many a time this gesture has brought me near tears.
It delights me no end when strangers accost me in different places , wanting to shake hands with me and click selfies. Many a time this gesture has brought me near tears.
This only vindicates my stand that no matter what the naysayers say, Mahatma Gandhi will live on.
Despite the vicious attacks on him , his ideology of non- violence will live on ,so will he . This Hindi review of Ballad of Bapu has been written by my brother in law , an eminent journalist ,Mr. Subhash Nahar who is no more .
He was midway into translating the entire book into Hindi when he was snatched from our midst.
Ballad of Bapu with Mr. Tushar Gandhi who very graciously wrote the foreword of the book . |
At Agrasen College , Bharatpur At SAARC SUFI FEST |
At Ahmedabad Literature Festival |
बैलड ऑफ बापू: युवा मस्तिष्कों के लिए आवश्यक ‘गांधी का गाथागीत’
Ballad of Bapuगहन भावुकता से परिपूर्ण डॉ संतोष बकाया ने गद्य और पद्य दोनों क्षेत्र में अपना स्थान बनाया है। प्रारम्भिक दौर में संतोष के रहस्य रोमांच भरे उपन्यासों ने युवा पाठकों को आकर्षित किया। 58 लेखों की ई-पुस्तक ‘फ्लाइट फ्राम माई टेरेस’ ‘स्मेशवर्ल्ड’ वेब साइट पर प्रकाशित हुई। गांधी और मार्टिन लूथर किंग जूनियर पर लेखों का गांधी शांति प्रतिष्ठान की त्रैमासिक पत्रिका में प्रकाशन हुआ तो संतोष को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। वितस्ता द्वारा प्रकाशित ‘बैलड आफॅ बापू’ महात्मा गांधी की काव्यात्मक जीवनी का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर घाना सरकार और पेंटासी बी विश्व मैत्री काव्य संस्था द्वारा संयुक्त रूप से मई 2016 में ‘‘वैश्विक प्रेरणादायक कवि’’ का सम्मान दिया गया।
अनगिनत लेखकों ने गांधी की जीवनी लिखी है लेकिन संतोष बकाया सम्भवतः पहली लेखिका है जिसने गांधी के जीवन को कविता में ढाला है। ‘बैलड ऑफ बापू’ में संतोष ने गांधी के जीवन के कई अनछुए पहलुओं का भी दर्शन करवाया है।
गांधी की आत्मा को शब्दों में वर्णन करना आसान नहीं है। एक साधारण से दिखने वाले असाधारण व्यक्तित्व और उसके अहिंसा में विश्वास की सम्पूर्ण महक के अहसास को भारतीय अंग्रजी की सभी सम्भावनाओं के साथ संतोष ने अपनी समृद्ध भाषा से तलाशा है।
डॉ. बकाया एक शिक्षाविद है। जिसका लेखन दुनिया भर में पढ़ा और सराहा गया। वे अपने विद्यार्थियों को राजनैतिक सिद्धांत पढ़ाती रही हैं। वह अपने विषय की विद्वान हैं। वे निम्बन्ध लेखक, कवि, कहानीकार और उपन्यासकार हैं। वे सही मायने में एक असाधारण व्यक्तित्व की धनी हैं। उन्होंने अपने लेखन से साहित्यि जगत में अपना स्थान बनाया है। बतौर राजनीतिशास्त्र अध्यापक और बाद में कॉलेज प्राचार्य के रूप में शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी श्रेष्ठता को साबित किया है।
डॉ. बकाया एक शिक्षाविद है। जिसका लेखन दुनिया भर में पढ़ा और सराहा गया। वे अपने विद्यार्थियों को राजनैतिक सिद्धांत पढ़ाती रही हैं। वह अपने विषय की विद्वान हैं। वे निम्बन्ध लेखक, कवि, कहानीकार और उपन्यासकार हैं। वे सही मायने में एक असाधारण व्यक्तित्व की धनी हैं। उन्होंने अपने लेखन से साहित्यि जगत में अपना स्थान बनाया है। बतौर राजनीतिशास्त्र अध्यापक और बाद में कॉलेज प्राचार्य के रूप में शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी श्रेष्ठता को साबित किया है।
संतोष के लेखन को पुस्तक के प्राक्कथन में तुषार गांधी इस प्रकार परिभाषित करते हैंः ‘‘धरती पर एक समय ऐसा भी आया जब संतोष द्वारा मोहन के जीवन, बापू की गाथा को कविता में कहा गया।’’
अंग्रेजी साहित्य के एक शिक्षक, राजस्थान विश्वविद्यालय में प्रोफेसर की बेटी को अपनी छोटी सी उमर में ही भाषा और साहित्य ने प्रभावित किया। प्रारम्भ में कुछ रहस्य रोमांच से भरे छोटे उपन्यास लिखे और प्रकाशित भी हुए लेकिन समय के साथ लेखनी परिपक्व हुई और संतोष को अपनी कविता ‘ओ हार्क’ के लिए र्यूल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
संतोष की निबन्धों की पुस्तक ‘फ्लाइट्स फ्रॉम माई टेरेस’ का साहित्य जगत में स्वागत किया गया। महात्मा गांधी और मार्टिन लूथर किंग जूनियर पर संतोष के लिखे लेख महत्वपूर्ण और सम्माननीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।
उसकी कई कविताओं का ‘डेस्टिनी पोएट्स’ की वेबसाइट पर प्रकाशन हुआ और ‘पेण्टासी बी वर्ल्ड फ्रेण्ड्शिप पोएट्री’ के घाना की राजधानी अंक्करा में मई 2016 में आयोजित सम्मान समारोह में संतोष की कविताओं को अति सम्मानजनक श्रेणी में रखा गया।
‘बैलड ऑफ गांधी’ महात्मा गांधी की जीवनी है जो कवितामय है और जिसे महाकाव्य कहा जा सकता है। यह ऐसे महानायक की कथा है जो सही अर्थों में ‘महात्मा’ था। यह गाथागीत ऐसे साधारण व्यक्ति की असाधारण कथा है जिसने एक पूरे युग को ही नहीं आने वाली कई पीढ़ियों को वैश्विक स्तर पर प्रभावित किया।
साहित्य में आम तौर पर ऐसा कम ही होता है कि कोई रचनाकार अपने कथ्य और शिल्प में नये प्रतिमान गढ़े और वह गुणवत्तापूर्ण भी हो। संतोष की ‘बैलड ऑफ बापू’ इसी श्रेणी की रचना है। यह वर्णनात्मक कविता है। यह पुस्तक सही अर्थों में एक ‘वीर गाथा गीत’ है। इसमें महाकाव्य के सभी लक्षण मौजूद हैं। यह पुस्तक एक अभिनव प्रयोग है। यह महाकाव्य की तरह गांधी के उदात्त चरित्र को बड़े साहसपूर्ण तरीके प्रस्तुत करती है जो प्रेरणादायक भी है।
इतिहास को काव्य का स्वरूप देने का साहस कम ही लोग कर पाते हैं फिर गांधी के जीवन की सभी प्रमुख घटनाओं को 48 कविताओं में समेटना भी दुरूह कार्य है। हर कविता के पीछे एक पूरा शोध झलकता है। पुस्तक को अलग अलग अध्यायों में बांटा गया है जो पुस्तक के मर्म को समझने में सहायक है। कविता के साथ उससे सम्बन्धित चित्र, कथा को और रोचक बना देते हैं।
संतोष बकाया एक कहानीकार है तो कवि भी। इस पुस्तक में संतोष ने अपनी दोनों विशेषताओं को श्रेष्ठता के साथ प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक साधारण पाठक के लिए नहीं है। इसे पाठक के सम्पूर्ण अवधान, सम्पूर्ण प्रज्ञा, बुद्धिमता और कविता के प्रति लगाव की आवश्यकता है।
पुस्तक में 48 कविताएं हैं। पहली कविता गांधी के जन्म से शुरू होती है और अंतिम कविता गांधी के अवसान को दर्शाती है। चर्चिल ने गांधी को अधनंगा फकीर कहा था। कैसे एक अति साधारण व्यक्ति, असाधारण व्यक्तित्व में ढल कर महानायक हो गया।
बीच की 46 कविताओं में संतोष ने गांधी के पूरे जीवन का वर्णन किया है। हर कविता गांधी के जीवन के विशेष पहलू को रेखांकित करती है। यरवदा जेल, असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, जलियांवाला बाग, दांडी मार्च आदि गांधी से सम्बन्धित सभी पक्षों को संतोष ने पूरी सच्चाई के साथ प्रस्तुत किया है।
इतिहास के पन्नों में दर्ज ‘जलियांवाला बाग’, ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ और ‘असहयोग आंदोलन’ जैसी युगांतरकारी घटनाओं को हम बचपन से ऐतिहासिक संदर्भों में जानते रहे हैं, इनका काव्यात्मक और आलंकारिक वर्णन संतोष की कलम से और भी मुखरित हो जाता है।
डॉ. बकाया ने हमारे राष्ट्रीय नेता का काव्यात्मक प्रस्तुतिकरण ऐसे किया है मानों जीवन की हर घटना का सूक्ष्मतम विवरण का भावपूर्ण चित्रात्मक दृश्य हमारी आंखों के सामने से गुजर रहा हो। संतोष ने बापू के जीवन का मानवीय दृष्टिकोण से आकलन किया है।
वायवीय जीवन की बर्बर हिंसा और मानवता के प्रति उदासीनता के माहौल में, जहां असहमति के प्रति घोर असहिष्णुता है, गांधी के प्रेम और सदाशयता का संदेश एक सुकून देता है। बापू के राजनैतिक जीवन का यह दर्शन अपनी समृद्ध भाषा और असाधारण काव्यशक्ति से प्रस्तुत किया है।
डॉ. बकाया ने हमारे राष्ट्रीय नेता का काव्यात्मक प्रस्तुतिकरण ऐसे किया है मानों जीवन की हर घटना का सूक्ष्मतम विवरण का भावपूर्ण चित्रात्मक दृश्य हमारी आंखों के सामने से गुजर रहा हो। संतोष ने बापू के जीवन का मानवीय दृष्टिकोण से आकलन किया है।
वायवीय जीवन की बर्बर हिंसा और मानवता के प्रति उदासीनता के माहौल में, जहां असहमति के प्रति घोर असहिष्णुता है, गांधी के प्रेम और सदाशयता का संदेश एक सुकून देता है। बापू के राजनैतिक जीवन का यह दर्शन अपनी समृद्ध भाषा और असाधारण काव्यशक्ति से प्रस्तुत किया है।
पूरी पुस्तक में लिमरिक छंद का प्रयोग किया गया है जो पांच पंक्तियों का होता है और पहली, दूसरी और पांचवीं पंक्ति तुकांत होती है और इन तीनों पंक्तियों की लम्बाई तीसरी और चौथी पंक्ति से बड़ी होती है। साथ ही तीसरी और चौथी पंक्ति में तुकांत भी होता है।
इस छंद का पहला प्रयोग 18वीं शताब्दी के प्रारम्भ में किया गया था लेकिन एडवर्ड लीयर ने 19वीं शताब्दी में इसे लोकप्रिय बना दिया। परम्परागत रूप से इस छंद की पहली पंक्ति में व्यक्ति और स्थान का परिचय होता है। पहली पंक्ति का अंतिम अक्षर तुकांत निर्धारित करता है जो दूसरी और पांचवीं पंक्ति में दोहराया जाता है। बहुत पहले तक लिमरिक छंद में पहली पंक्ति को ही पांचवीं पंक्ति में दोहराया जाता था लेकिन अब यह जरूरी नहीं माना जाता।
इस छंद का पहला प्रयोग 18वीं शताब्दी के प्रारम्भ में किया गया था लेकिन एडवर्ड लीयर ने 19वीं शताब्दी में इसे लोकप्रिय बना दिया। परम्परागत रूप से इस छंद की पहली पंक्ति में व्यक्ति और स्थान का परिचय होता है। पहली पंक्ति का अंतिम अक्षर तुकांत निर्धारित करता है जो दूसरी और पांचवीं पंक्ति में दोहराया जाता है। बहुत पहले तक लिमरिक छंद में पहली पंक्ति को ही पांचवीं पंक्ति में दोहराया जाता था लेकिन अब यह जरूरी नहीं माना जाता।
जलियांवाला बाग के क्रूर मानव संहार पर संतोष कहती हैं कि:
इस घटना से सारा देश हतप्रभ हो गया,
देशवासियों का दिल भीतर तक चिर गया,
इस क्रूर भंयकर घटना के दोषी,
अंग्रेजी साम्राज्य ने अपनी साख खो‘दी,
भारत के हृदयविदारक क्रंदन से वातावरण भर गया।
इस घटना से सारा देश हतप्रभ हो गया,
देशवासियों का दिल भीतर तक चिर गया,
इस क्रूर भंयकर घटना के दोषी,
अंग्रेजी साम्राज्य ने अपनी साख खो‘दी,
भारत के हृदयविदारक क्रंदन से वातावरण भर गया।
कविता के इस पद से आभास हो जाता है कि कैसे इतिहास का कोई पन्ना एक सक्षम और प्रतिभावान कवि के हाथों एक अलग सोच की साहित्यिक कृति में ढल सकता है।
आज घृणा के घातक माहौल में उम्मीद की किरण है ‘बैलड ऑफ बापू’। युवाओं के लिए ऐसा साहित्य पढ़ना पढ़ाना मानवता के हित में होगा।
REVIEW OF BALLAD OF BAPU IN SAMAYMAJRA
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Mr. Subhash Nahar
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